मैं किसके साथ सोती हूँ यह फैसला मेरा दिमाग करता है, मेरा ‘क्लिटोरिस’ नहीं

(This post was originally published in English on March 22, 2017. You can read the English version here.)

लेखक: सबाहत जहाँ

उम्र: 24
देश: भारत

मैं एक कैफे में बैठकर सोच रही हूँ, क्या मैं अपनी बेटी के साथ जननांग विकृति जैसी दर्दभरी प्रथा को निभाना चाहूँगी या नहीं, जैसा मेरी माँ ने मेरे साथ मज़हब के नाम पर किया था।

मैं 24 साल की हूँ, पत्रकारिता की पढ़ाई कर रही हूँ, एक ऐसे समुदाय की मुस्लिम लड़की हूँ जो आज भी अंधे होकर महिला जननांग विकृति (Female Genital Mutilation – FGM) की प्रथा को ढो रहे हैं। पूरी जिंदगी मेरा भरोसा था कि FGM मेरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, और कि जो भी पेशाब संबंधी दिक्कतें मुझे हो रही हैं उन सबका इससे कोई संबंध नहीं है। मुझे अहसास ही नहीं था कि मेरी सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मेरा क्लिटोरिस सात साल की उम्र में काट दिया गया था। 

मुझे तो यह भी याद नहीं है कि यह कैसे हुआ था, या इसमें मुझे दर्द हुआ था या नहीं। और मुझे कभी सोचने का मौका नहीं मिला क्योंकि जब मेरी माँ ने कहा कि यह मेरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है तो मुझे उन पर भरोसा था। मैं उनको दोष नहीं देती हूँ लेकिन मैं प्रथा को दोषी मानती हूँ। बहुत से मुस्लिम फिरके इसे नहीं मानते हैं लेकिन मेरा समुदाय मानता है।

पहली बार एफजीएम के बारे में मुझे तब पता चला जब मैंने लेखक अयान हिरसी अली की किताब पढ़ी। उसके बाद मैंने हिंदुस्तान टाइम्स में सहियो के बारे में पढ़ा था। मैं गहरे सदमे में थी और मैंने मेरी माँ को कॉल किया। शांत दिमाग से मैंने उनसे पूछा, “माँ, आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?” उन्होंने कहा, “बेटा क्योंकि यह यौन उत्तेजनाओं को नियंत्रित करेगा, तुम संभोग के लिए आतुर नहीं रहोगी और तुम्हारा कुँआरापन बना रहेगा।” मैंने सोचा, यह सब कुँआरेपन के लिए है! क्या इसीलिए मुझे समय-समय पर पेशाब संबंधी दिक्कतों से जूझना पड़ता है?

किसी के साथ सोना है या नहीं यह मेरा मामला है, मेरी इच्छा है। यह मेरा दिमाग है जो इसका फैसला लेगा, मेरा क्लिटोरिस नहीं! मेरे पास अपनी माँ से कहने के लिए कुछ नहीं था, मैंने बस कहा “ठीक है” और कॉल को काट दिया। मुझे उनके ऊपर गुस्सा नहीं है, उन्होंने तो वह किया जो उनकी संस्कृति और मज़हब ने सिखाया था। हाँ, शारिरीक सम्बन्ध के दौरान मुझे दिक्कतें होती हैं। यह दर्दभरा है और यह समस्या भरा है। इस प्रथा से मेरी यौन उत्तेजना नहीं रूकी बल्कि इसने मेरे लिए शारीरिक संबंध को मुश्किल बना दिया। 

मैं एक पढ़ी-लिखी महिला हूँ और मैं FGM के खिलाफ खड़ी हो रही हूँ। लोगों को अहसास कराने के लिए कि यह गलत है, मैं हर मुमकिन कोशिश करूँगी। साथ खड़े होने और इस बारे में बात करने के लिए मैं सहियो को धन्यवाद देती हूँ।  मुझे खुशी है कि इस बारे में बात करने को लेकर जो शर्म का माहौल था वो खत्म हो गया है और मैं एक FGM पीड़ित के रूप में अपना दुख साझा कर सकती हूँ। 

(इस पोस्ट का लेख मूल रूप से 23 फरवरी, 2017 को इस ब्लॉग पर छपा था: Wanderlustbeau)